‘दर्पण’ वित्तीय जाँच-समिति, हरदोई
सामान्यतया यह देखा गया है कि शिकायतकर्ता की शिकायत उसी कार्यालय/पटल पर निस्तारण हेतु भेज दी जाती है, जहाँ से समस्या उत्पन्न हुई थी। यदि अनभिज्ञता या भ्रष्टता के कारण समस्या उत्पन्न हुई थी तो वह कारण शिकायत निस्तारण के समय भी विद्यमान होगा। कभी-2 यह कार्मिको के अहम् के टकराव के कारण कार्यालयों का वातावरण को भी अत्यन्त दूषित करता है।
जाँच समिति का विवरण व कार्य संपादन हेतु निर्देश
‘दर्पण’ के अन्तर्गत वेतन एवं अन्य सेवा सम्बन्धी लाभों को नियमानुसार प्राप्त न होने पर सेवारत/सेवानिवृत्त कर्मचारी उचित लाभों को प्राप्त करने हेतु प्रार्थनापत्र दे सकता है। जिसके सुसंगत शासनादेशों के अनुसार ससमय निस्तारण की व्यवस्था इस कार्यक्रम के अन्तर्गत की गयी है। इस क्रम में अनेक सेवारत/सेवानिवृत्त कर्मचारियों के प्रार्थनापत्र प्राप्त हुये हैं। ऐसे प्रकरणों का उचित व त्वरित गति से निस्तारण हेतु एक वित्तीय जाँच-समिति की संरचना जिलाधिकारी महोदय द्वारा की गयी है। समिति के सम्वन्ध में आवश्यक विवरण निम्नवत है –
‘दर्पण’ कार्यक्रम के तीन मुख्य उद्देश्य हैं। उचित
देय, उचित समय, उचित पारदर्शी प्रणाली। उचित देय अर्थात सेवारत/सेवानिवृत्त कार्मिकों के
सुसंगत शासनादेशों के अनुसार मासिक वेतन, पेंशन अथवा अन्य देय प्राप्त हों। जव
कार्मिकों को यह विश्वास होता है कि उन्हें नियमानुसार भुगतान प्राप्त नही हो रहे
हैं जिससे वह शिकायत करतें हैं। अनेक शिकायतों में उचित निस्तारण/संतुष्ट न होने के कारण वे
न्यायालयों में भी जाते है। ऐसी स्थित में
कार्यालय से लेकर न्यायालय की प्रक्रियायों में राष्ट्र के संसाधनों व समय,
पटल सहायक की अनभिज्ञता,हठ अथवा स्थानीय स्तर पर उचित निस्तारण न होने के कारण
व्यय होता है। जनपद स्तर पर ही प्रत्येक समस्या के निदान के उद्देश्य से इस समिति का गठन किया गया है
शिकायत
निस्तारण प्रणाली ऐसी अवश्य होनी चाहिए जो न्यायोचित निराकरण के साथ-2 प्रार्थी को
यह आभास अवश्य कराये कि उसकी बात गंभीरता से सुनी गयी, विचार हुआ तथा सही निराकरण
किया गया। ‘दर्पण’ की शिकायत निस्तारण
प्रणाली इसी तथ्य पर आधारित है।
सामान्यतया यह देखा गया है कि शिकायतकर्ता की शिकायत उसी कार्यालय/पटल पर निस्तारण हेतु भेज दी जाती है, जहाँ से समस्या उत्पन्न हुई थी। यदि अनभिज्ञता या भ्रष्टता के कारण समस्या उत्पन्न हुई थी तो वह कारण शिकायत निस्तारण के समय भी विद्यमान होगा। कभी-2 यह कार्मिको के अहम् के टकराव के कारण कार्यालयों का वातावरण को भी अत्यन्त दूषित करता है।
‘दर्पण’ में शिकायत निस्तारण प्रणाली आधुनिक,
वैज्ञानिक, तार्किक व विश्वासी बनाने हेतु परम्परा से अलग हटकर निम्नानुसार की गयी
है-
1-
इस व्यवस्था में प्रार्थनापत्र ( शिकायत) प्राप्त होने पर
सम्बन्धित कार्यालय/पटल को निस्तारण हेतु नही भेजा जाता है, वरन् विषय विशेषज्ञो (लेखा संवर्ग) की
बनायी गयी समिति को भेजा जाता है। इस समिति का नाम ‘दर्पण’ वित्तीय जाँच समिति रखा गया है।
2- समिति का गठन- जाँच समिति
के अध्यक्ष व सदस्यगण जनपद के लेखा संवर्ग के योग्य, परिश्रमी, अनुभवी व समाज सेवा
की भावना रखने वाले जो निस्वार्थ भावना से ( मानदेय़ रहित) प्राप्त प्रार्थनापत्रों
पर विचार-विमर्श कर सही निर्णय ले सके, जिसके क्रम में एक लेखाधिकारी अथवा वरिष्ठ कोषाधिकारी व तीन
लेखाकारों की समिति का गठन जिलाधिकारी महोदय किया गया है।
3- कार्य प्रक्रिया- प्राप्त
प्रार्थनापत्रो को ‘दर्पण’ के वेबपृष्ठ पर
दर्ज किया जाता है तथा एक संभावित विचार-विमर्श की तिथि निश्चित कर ‘दर्पण’ के वेबपृष्ठ पर इस आशय के
साथ प्रदर्शित की जाती है कि सम्वन्धित कार्यालय/ पटल सहायक निर्धारित तिथि को
विचार-विमर्श हेतु अपने तथ्यों के साथ उपस्थित होकर प्रकरण को निस्तारण कराये। यह
सूचना, सूचनापट पर भी प्रदर्शित की जायेगी। प्रार्थी भी विचार-विमर्श की तिथि को
उपस्थित होकर अपने पक्ष के तथ्य समिति के समक्ष रख सकता है। प्रार्थी व अन्य को
व्यक्तिगत सूचना प्रेषण की व्यवस्था नही है। यह कार्य खुले कक्ष में व
स्वस्थ वातावरण में किया जाता है।
4- समिति प्रत्येक
प्रार्थनापत्र पर गहन विचार-विमर्श कर अपना मन्तव्य अनुमोदन हेतु जिलाधिकारी महोदय
के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। अनुमोदनोपरान्त अग्रिम कार्यवाही अमल में लायी
जाती है। जाँच के समय प्रार्थी व पटल सहायकों के साथ-2 अन्य सभ्रान्त व्यक्ति भी बैठ
सकते हैं तथा अपने विचार व्यक्त कर सकते है।
5- आदेश का क्रियान्वयन-
जिलाधिकारी महोदय द्वारा पारित आदेश का क्रियान्वयन सम्वन्धित कार्यालय/पटल द्वारा कार्य के
प्रत्येक स्तर हेतु निर्धारित समय सीमा की की परिधि में, जोकि ‘दर्पण’ के विशेष प्रकरण नामक
पृष्ठ पर प्रदर्शित होगी, के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित किये जाने का
उत्तरदायित्व होगा। संपादित हुये कार्य को नियमित रूप से वेबपृष्ठ पर दर्ज किया
जायेगा। नियत समय सीमा में कार्य पूर्ण न होने
की दशा में ‘दर्पण’ की अंकीय व्यवस्थानुसार
ऋणात्मक अंक दिये जाने के साथ-साथ दण्डात्मक कार्यवाही भी की जा सकती है।
6-
‘दर्पण’ कार्यक्रम में आपके
सुझाव आमंत्रित हैं, जिन पर गहनता से विचारोपरान्त समाविष्ट किया जायेगा।
जाँच समिति का विवरण व कार्य संपादन हेतु निर्देश
‘दर्पण’ के अन्तर्गत वेतन एवं अन्य सेवा सम्बन्धी लाभों को नियमानुसार प्राप्त न होने पर सेवारत/सेवानिवृत्त कर्मचारी उचित लाभों को प्राप्त करने हेतु प्रार्थनापत्र दे सकता है। जिसके सुसंगत शासनादेशों के अनुसार ससमय निस्तारण की व्यवस्था इस कार्यक्रम के अन्तर्गत की गयी है। इस क्रम में अनेक सेवारत/सेवानिवृत्त कर्मचारियों के प्रार्थनापत्र प्राप्त हुये हैं। ऐसे प्रकरणों का उचित व त्वरित गति से निस्तारण हेतु एक वित्तीय जाँच-समिति की संरचना जिलाधिकारी महोदय द्वारा की गयी है। समिति के सम्वन्ध में आवश्यक विवरण निम्नवत है –
अ- समिति का नाम – ‘‘दर्पण’’ वित्तीय जाँच-समिति, हरदोई
ब- समिति
के पदाधिकारी निम्नानुसार है-
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I.
श्री सन्तोष कुमार मौर्या,
लेखाधिकारी, बेसिक शिक्षा, हरदोई : अध्यक्ष
II.
श्री वदन सिंह यादव,
जिला लेखाकार, सहा.नि. स. स. , हरदोई
: सदस्य
III.
श्री अजीत सिंह,
लेखाकार, जि.वि.नि. हरदोई : सदस्य
IV.
श्री आशाराम राठौर,
लेखाकार, जि. कृषि अधिकारी, हरदोई : सदस्य
स- कार्य संचालन हेतु आवश्यक
निर्देश निम्नवत है-
1- उपरोक्त समिति प्राप्त प्रार्थनापत्रों पर
सुसंगत नियमों के अन्तर्गत विचार कर अपना स्पष्ट मन्तव्य जिलाधिकारी के समक्ष अनुमोदन हेतु प्रस्तुत
करेगी। अनुमोदनोपरान्त अग्रिम कार्यवाही
हेतु सम्बन्धित कार्यालय को निर्धारित समयावधि में
अनुपालनार्थ प्रेषित किया जायेगा।
2- समिति की बैठक दिनांक 5,10,15,20 व 25 को प्रत्येक माह में समय अपरान्ह दो बजे से साँय पाँच बजे तक होगी।
3- समिति द्वारा जाँच हेतु जो भी अभिलेख या सूचनाएं
माँगी जायेंगी। वह सभी सम्बन्धित कार्यालयों/पटल सहायकों द्वारा
तत्काल उपलब्ध करानी होगी।
4- समिति को कार्य संपादन हेतु कलेक्ट्रेट परिसर में स्थान व
उचित व्यवस्था प्रभारी अधिकारी, नजारत द्वारा सुनिश्चित की जायेगी। कार्य के समय समिति
के सहयोग हेतु एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी उपलव्ध कराया जायेगा।
5- ‘दर्पण’ कार्यक्रम एक जनहित
का कार्यक्रम है अत: इसके कार्यों हेतु कोई मानदेय या भत्ता देय नही होगा।
6- प्रतिदिन सम्पादित हुये कार्य को ‘दर्पण’ के वेबपृष्ठ पर
दर्ज किया जायेगा।
7- समिति ने कार्य सम्पादन दिनांक 18-12-2014 से प्रारम्भ कर दिया है।
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विष्लेषण करें--
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